Sunday, June 14, 2009

मेरे ३ साल मुंबई में |

मै करीब ३ साल मुंबई में रहा | मैं मुंबई के तीनो लाइंस पे रह चूका हु | पहले सेंट्रल लाइन पे एक साल बिताया, फिर वेस्टर्न लाइन में एक साल रहा और अंतिम एक साल हर्बौर लाइन में बिताया | मै पूरा भारत घूम चूका हु पर मुजे सबसे ज्यादा मुंबई ही पसंद आई है | इसलिए एक अलग सा लगाव है मुंबई के लिए |

मुझे लगता है के मुंबई में हर चीज़ ने अंतिम मर्यादा पर कर ली है | इस वजह से यहाँ हर चीज़ में अनुशाशन सा आ गया है |
बस की क़तर में लगना क्यों जरूरी है, ये मुंबई के लोगो को मालूम है | घर और कमरे का मतलब सिर्फ यही पर समझ में आता है | यहाँ स्त्रिया रात को भी अकेले घूम सकती है | यहाँ के लोग अपने परेशानियों इतने मशगुल रहते है की दुसरो को मदद करना अच्छा समजते है | बेकार की बहस में समय व्यय करना बेव्खुफी है , ये यहाँ के लोगो को अच्छेसे मालूम है |

आने वाले कुछ दिनों में मै मुंबई का मेरा अनुभव कथन करूँगा. कुच्छ आछाईया जो भूली नहीं जाती और कुछ ख़राब अनुभव जो हमेशा याद रहेंगे |

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